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अद्भुत चालीसे

 न कह सकूँगा मैं…

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

न कह सकूँगा मैं…                           
नादान तुम्हें. 

शू-साईड कर लेते हो तुम
रिश्ते खूँ फाईट कर लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.1.

बिस…किट खा लेते हो तुम
माँ परवरिश चिट उठा लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.2.

रिश्ते दरार कर लेते हो तुम
दो आँखें चार कर लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.3.

और पर हॅंस लेते हो तुम
चोर पर खिसक लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.4.

अँगुली कर लेते हो तुम
मुख तक चुगली भर लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.5.

तोते उड़ा लेते हो तुम
मुखोटे चढ़ा लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.6.

मुँह बा लेते हो तुम
लग मुँह लगा लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.7.

दिमाग खा लेते हो तुम
माँ का दिल दुखा लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.8.

खीसा भर लेते हो तुम
पीछा कर लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.9.

तीली को लगा लेते हो तुम
माचिस सीली सुलगा लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.10.

तलवार खींच लेते हो तुम
तरु-वैर सींच लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.11.

मण्डूक तौल लेते हो तुम
दो टूक बोल लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.12.

टोपी पिना लेते हो तुम
खरी खोटी सुना लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.13.

पगड़ी उछाल लेते हो तुम
पगडंडी निकाल लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.14.

जेबें खगाल लेते हो तुम
गोटें बिठाल लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.15.

छाती कूट लेते हो तुम
लड़-झगड़ ताती लूट लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.16.

रोटी छीन लेते हो तुम
कोठी चीन लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.17.

लिख जल लेते हो तुम
‘गुल’ मसल लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.18.

गाल बजा लेते हो तुम
दाल गला लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.19.

पैंतरे बदल लेते हो तुम
बना रेत के महल लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.20.

गाँठ ले लेते हो तुम
डोर गाँठ दे लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.21.

सर पर चढ़ लेते हो तुम
दोष सर ‘अर’ मढ़ लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.22.

धिक् दुबारा तक लेते हो तुम
चट छप्पन भोग, चढ़ाने चिटक लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.23.

भृकुटी चढ़ा लेते हो तुम
पट्टी पढ़ा लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.24.

रुख मोड़ लेते हो तुम
जुग तोड़ लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.25.

पाई-पाई जोड़ लेते हो तुम
बने निचोड़ लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.26.

झगड़ा केंच लेते हो तुम
लड़ा दाँव-पेंच लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.27.

ताँक-झाँक कर लेते हो तुम
नाक खतरनाक कर लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.28.

बर्दी बेंच लेते हो तुम
जीभ जीभ छर्दी खेंच लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.29.

पीते बाद, पहले मचा लेते हो तुम
बहस साथ, मजा लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.30.

कट मार लेते हो तुम
संकट जमीं-उतार लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.31.

आँखें मटका लेले हो तुम
पाँखें झटका लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.32.

बैड…रूम ‘गुड’ कह लेते हो तुम
न सागर मगर लहर लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.33.

रात दिन एक कर लेते हो तुम
बात बिन अटेक कर लेते तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.34.

जल भुन लेते हो तुम
हाथ मल, सिर-धुन लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.35.

‘पूरी’ आधी कर लेते हो तुम
भाग के चोरी-छुपके शादी कर लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.36.

खा उसी थाली में छेद कर लेते हो तुम
खिला-पिला ‘ब्लेक-मनी’ सुफेद कर लेते
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.37.

रेडी…मैड कह लेते हो तुम
जीते जी पिता को ‘डैड’ कह लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.38.

कच्चे धागे तोड़ लेते हो तुम
मन से आगे दौड़ लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.39.

घी अपनों को ढ़ीले हाथ छोड़ लेते हो
जी अपनों का लगे हाथ तोड़ लेते हो तुम
न कह सकूँगा मैं…
नादान तुम्हें.40.

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