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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 924

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 924

किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।स्थापना।।

लाये हैं हम,
घट उदक चढ़ाने
बस और बस,
उसकी एक झलक पाने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।जलं।।

लाये हैं हम,
गंध घट चढ़ाने
बस और बस,
उसके और निकट आने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।चन्दनं।।

लाये हैं हम,
कुछ धान चढ़ाने
बस और बस,
उसकी मुस्कान पाने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।अक्षतं।।

लाये हैं हम,
दिन सुमन चढ़ाने
बस और बस,
उसका रिझा मन पाने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।पुष्पं।।

लाये हैं हम,
चरु घिरत चढ़ाने
बस और बस,
उसकी पल रहमत पाने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।नैवेद्यं।।

लाये हैं हम,
लौं अबुझ जगाने
बस और बस,
उसका सानिध्य कुछ पाने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।दीपं।।

लाये हैं हम,
घट इतर चढ़ाने
बस और बस,
उसकी एक नजर पाने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।धूपं।।

लाये हैं हम,
थाल फल चढ़ाने
बस और बस,
उसके दो-चार पल पाने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।फलं।।

लाये हैं हम,
फल फूल चढ़ाने
बस और बस,
उसकी पाँव धूल पाने
किसी की याद बहुत आती
आ करके फिर वापिस नहीं जाती
करिश्मे जैसा
अय ! रहनुमा
कुछ कर दो ऐसा
नहीं आ पा रहा है तो,
दे भिजा ही दे वो,
मुझे इक भींगी सनेह पाती ।।अर्घ्यं।।

हाईकू
प्राण
चाहिए जीने के लिये
त्यों ही गुरु भगवान्

जयमाला
जरा सा पास कान के
कह गया मनुआ आन के
लाखों में एक हैं गुरु जी
दिल के बडे़ नेक हैं गुरु जी

अन्दर के ज्ञान के
हैं समुन्दर मुस्कान के
अहिंसा अभिलेख हैं गुरु जी
दिल के बड़े नेक हैं गुरु जी

जरा सा पास कान के
कह गया मनुआ आन के
लाखों में एक हैं गुरु जी
दिल के बडे़ नेक हैं गुरु जी

चंद्रमा और भान के
है प्रतिरूप भगवान् के
भक्त जीवन-रेख हैं गुरु जी
दिल के बड़े नेक हेैं गुरु जी

जरा सा पास कान के
कह गया मनुआ आन के
लाखों में एक हैं गुरु जी
दिल के बडे़ नेक हैं गुरु जी

तूर स्वाभिमान के
है नूर आसमान के
रखते हंस विवेक हैं गुरु जी
दिल के बड़े नेक हैं गुरु जी

जरा सा पास कान के
कह गया मनुआ आन के
लाखों में एक हैं गुरु जी
दिल के बडे़ नेक हैं गुरु जी
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

हाईकू
मनोरथ हो पूर्ण जाते
करीब गुरु बताते

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