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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 872

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 872

=हाईकू=
उठा दो कभी,
पलक भर, 
भूल से ही नजर ।

आ जाओ कभी,
ए ! गुरुवर
भूल से ही इधर ।।

मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें ।

बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। स्थापना।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती जल गागर
ओ ! भावी शिव-नागर
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। जलं।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती करताली
सुरभित चन्दन प्याली
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। चन्दनं।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती धाँ शाली
भा थाली रतनारी
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। अक्षतं।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती फुलवारी
सुगंध नन्दन क्यारी
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। पुष्पं।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती चरु न्यारी
घृत वाली मनहारी
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। नैवेद्यं।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती दीवाली
अक्षरा घृत वाली
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। दीपं।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती सुगंध अन
ओ ! श्री मन्ती नन्दन
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। धूपं।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती पिटार फल
मूसला धार दृग्-जल
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। फलं।।

‘के घर कब आओगे,
पूछती द्रव शबरी
जल, संदल, फल मिसरी
पूछती कहो कब आओगे,
मैं और मेरा घर,
देखे हैं कब से तेरी राहें
बिछा पलक पावड़े राहों पर,
भिंगा निगाहें ।। अर्घ्यं।।

=हाईकू=
रूहेक जिस्म जुदा,
आते उनमें माँ गुरु खुदा

जयमाला
सारी गुस्ताखी
दे बता, गुरु जी दे देगें माफी
दिल रखते बड़ा काफ़ी
गुरु जी दे देगें माफी
सारी गुस्ताखी
दे बता, गुरु जी दे देगें माफी

हूबहू अपनी माँ गुरु जी
हैं समां बागबां गुरु जी
दें छुवा आसमां गुरुजी
सारी बदमाशी,
दे बता, और सब गुरु जी पे छोड़ दे बाकी

दिल रखते बड़ा काफ़ी
गुरु जी दे देगें माफी
सारी गुस्ताखी
दे बता, गुरु जी दे देगें माफी

‘रे स्वर्ण-कार से गुरु जी
हैं कर्ण-धार से गुरु जी
दें लगा पार हमें गुरुजी
‘रे स्वर्ण-कार से गुरु जी

हूबहू अपनी माँ गुरु जी
हैं समां बागबां गुरु जी
दें छुवा आसमां गुरुजी
सारी बदमाशी,
दे बता, और सब गुरु जी पे छोड़ दे बाकी

दिल रखते बड़ा काफ़ी
गुरु जी दे देगें माफी
सारी गुस्ताखी
दे बता, गुरु जी दे देगें माफी

शबरी राम से गुरुजी
मीरा-श्याम से गुरुजी
दें थमा मुकाम श्री गुरुजी
शबरी राम से गुरुजी

हूबहू अपनी माँ गुरु जी
हैं समां बागबां गुरु जी
दें छुवा आसमां गुरुजी
सारी बदमाशी,
दे बता, और सब गुरु जी पे छोड़ दे बाकी

दिल रखते बड़ा काफ़ी
गुरु जी दे देगें माफी
सारी गुस्ताखी
दे बता, गुरु जी दे देगें माफी
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

=हाईकू=
तुम्हें छुपा भी ता,
‘पड़े’
दूसरी कक्षा लगता

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