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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 859

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 859

आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।स्थापना।।

भेंटूँ जल गगरी
नाचूँ बन चकरी
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।जलं।।

भेंटूँ घट चन्दन
थिरकाऊँ नँग-नँग
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।चन्दनं।।

भेंटूँ धाँ शाली
नाचूँ दे ताली
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।अक्षतं।।

भेंटूँ गुल-नंदा
नाचूँ बन अंधा
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।पुष्पं।।

भेंटूँ चरु घृत का
नाचूँ दृग्-मटका
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।नैवेद्यं।।

भेंटूँ दीप अबुझ
नाचूँ रुक झुक-झुक
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।दीपं।।

भेंटूँ सुगंध अन्य
नाचूँ झूम छनन
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।धूपं।।

फल ये रहा मिटा
नाचूँ पैर उठा
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।फलं।।

भेंटूँ अरघ अलग
नाचूँ थिरख थिरक
हो चला पूरा सपना
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना
आँखों के आँसू मेरे,
आज थमने से करें मना ।
लिया अपना,
तूनें जो मुझे,
लिया अपना बना ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
काम डराने का न करें,
गुरु जी
न ‘स्वयं डरें

जयमाला
मुझे न मनानी होली
न बनानी मुझे रंगोली
‘जि गुरु जी आपके चरण
करेंगे ये कुटिया हमारी धन
होगा मेरे लिये त्योहार वही दिन

मुझे न मनानी राखी
पतंग न बनानी पाखी
करेंगे ये कुटिया हमारी धन
‘जि गुरु जी आपके चरण
होगा मेरे लिये त्योहार वही दिन

मुझे न मनानी होली
न बनानी मुझे रंगोली
‘जि गुरु जी आपके चरण
करेंगे ये कुटिया हमारी धन
होगा मेरे लिये त्योहार वही दिन

न दीपावली मनानी
मुझे न रागिनी गानी
करेंगे ये कुटिया हमारी धन
‘जि गुरु जी आपके चरण
होगा मेरे लिये त्योहार वही दिन

मुझे न मनानी होली
न बनानी मुझे रंगोली
‘जि गुरु जी आपके चरण
करेंगे ये कुटिया हमारी धन
होगा मेरे लिये त्योहार वही दिन

मुझे न मनानी राखी
पतंग न बनानी पाखी
करेंगे ये कुटिया हमारी धन
‘जि गुरु जी आपके चरण
होगा मेरे लिये त्योहार वही दिन

मुझे न मनानी होली
न बनानी मुझे रंगोली
‘जि गुरु जी आपके चरण
करेंगे ये कुटिया हमारी धन
होगा मेरे लिये त्योहार वही दिन
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

=हाईकू=
आऊँ मन से पाम तेरे रोज ही,
क्या दिखूँ कभी

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