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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 850

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 850

=हाईकू=
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।
है गुजारिश मेरी,
अब यही, है ख्वाहिश मेरी ।
आगे भी,
यूँ ही मिलती रहे,
तेरी मुस्कान मुझे ।।स्थापना।।

मैं चढ़ाऊँ, जल अप्रमाण तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।जलं।।

मैं चढ़ाऊँ, गंध खुद समान तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।चन्दनं।।

मैं चढ़ाऊँ, शालिक धान तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।अक्षतं।।

मैं चढ़ाऊँ, पुष्प बागान तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।पुष्पं।।

मैं चढ़ाऊँ, घृत-पकवान तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।नैवेद्यं।।

मैं चढ़ाऊँ, दीप रवि छविमान तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।दीपं।।

मैं चढ़ाऊँ, धूप गुण धान तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।धूपं।।

मैं चढ़ाऊँ, फल ऋत प्रधान तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।फलं।।

मैं चढ़ाऊँ, अर्घ सश्रद्धान तुझे
पाके अपने द्वार तुझे
है मिला जहान मुझे ।
था जिसे ढूँढ रहा मैं,
वह मिला भगवान् मुझे ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
और के दुख से दुखी,
हो सकते, सिर्फ गुरु जी

जयमाला
ये मुस्कान तेरी
है दिलो-जान मेरी

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र

कहीं ये छिन न जाये मुझसे
पल पल मुझे,
ये बना रहता है डर
गुरुवर,
अय ! मेरे गुरुवर

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र
ये मुस्कान तेरी
है दिलो-जान मेरी

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र

कहीं किसी की,
‘जि गुरु जी
ये रिश्ता हमारा,
सपनों से प्यारा
दुनिया से न्यारा
ये रिश्ता हमारा,
‘जि गुरु जी
कहीं किसी की, खा न बैठे नज़र

पल पल मुझे,
ये बना रहता है डर
गुरुवर,
अय ! मेरे गुरुवर

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र
ये मुस्कान तेरी
है दिलो-जान मेरी

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र

अजनबी या अपने की,
कहीं किसी की भी
‘जि गुरु जी
ये रिश्ता हमारा,
तुम चाँद मैं तारा
ये रिश्ता हमारा,
सपनों से प्यारा
दुनिया से न्यारा
ये रिश्ता हमारा,
‘जि गुरु जी
कहीं किसी की, खा न बैठे नज़र

पल पल मुझे,
ये बना रहता है डर
गुरुवर,
अय ! मेरे गुरुवर

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र
ये मुस्कान तेरी
है दिलो-जान मेरी

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र
कहीं ये छिन न जाये मुझसे
पल पल मुझे,
ये बना रहता है डर
गुरुवर,
अय ! मेरे गुरुवर

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र
ये मुस्कान तेरी
है दिलो-जान मेरी

है मेरी हम-सफर
ये तेरी इक नज़र
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
न छोड़ें पीछे,
माँ से गुरु बच्चों को ले चालें खींचे

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