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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 843

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 843

मैं पतझड़, मुझे झिर सावन दे दो
मैं पत्थर, मुझे छव-पावन दे दो
नजर मेरी तरबतर,
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।स्थापना।।

लिये नीर
अय ! मेरे वीर
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।जलं।।

लिये गंध
अय ! निर्ग्रन्थ
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।चन्दनं।।

ले शालि धाँ,
वर्तमाँ वर्धमाँ !
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।अक्षतं।।

लिये सुमन,
अय ! मेरे भगवन्
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।पुष्पं।।

लिये नवेद,
अय ! अहिंसा केत
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।नैवेद्यं।।

लिये दीप,
अय ! वजनी सीप
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।दीपं।।

लिये धूप,
अय ! व्रतस्-तूप
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।धूपं।।

लिये बदाम
अय ! मेरे राम
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।फलं।।

लिये अरघ
अय ! इक अनघ
मैं कब से खड़ा हूँ तेरे द्वार पर
तेरा इन्तजार कर
आज आकर, मेरे-घर,
मुझे पड़गाहन दे दो ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
नैन ये तुम्हें,
हैं खोजें यहाँ वहाँ,
हो तुम कहाँ

जयमाला
ख्वाबों से निकल
कभी मेहरवानी कर
हमारे घर
आ भी जाओ ‘ना’ गुरुवर

कभी मेहरवानी कर
ख्वाबों से निकल
आ भी जाओ ‘ना’ गुरुवर
हमारे घर

ख्वाबों से निकल
कभी मेहरवानी कर

वैसे है भरा-पूरा हमारा घर
लगता बिना तेरे वीरान-सा मगर

लौटा दो खुशी,
हाँ ! हाँ ! जिन्दगी ही उसकी
कभी मेहरवानी कर,

कभी मेहरवानी कर
ख्वाबों से निकल
आ भी जाओ ‘ना’ गुरुवर
हमारे घर

ख्वाबों से निकल
कभी मेहरवानी कर
हमारे घर
आ भी जाओ ‘ना’ गुरुवर

कभी मेहरवानी कर
ख्वाबों से निकल
आ भी जाओ ‘ना’ गुरुवर
हमारे घर

ख्वाबों से निकल
कभी मेहरवानी कर

हर रोज आ जाता,
वैसे बन-हमदम चन्दा

आरजू यही आये पै,
कभी मेरा शरद पूनम चन्दा
गुजारिश यही,
पूरी कर दो ख्वाहिश उसकी,

कभी मेहरवानी कर,

कभी मेहरवानी कर
ख्वाबों से निकल
आ भी जाओ ‘ना’ गुरुवर
हमारे घर

ख्वाबों से निकल
कभी मेहरवानी कर
हमारे घर
आ भी जाओ ‘ना’ गुरुवर

कभी मेहरवानी कर
ख्वाबों से निकल
आ भी जाओ ‘ना’ गुरुवर
हमारे घर

ख्वाबों से निकल
कभी मेहरवानी कर
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
तेरी खुशी में, है खुशी मेरी,
है तू जिन्दगी मेरी

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