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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 820

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 820

वैतरण तरण
कल-काल शरण
तम, आश किरण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।स्थापना।।

होने हल्का
कलशा जल का
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।जलं।।

हित सम दर्शन
सुरभित चन्दन
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।चन्दनं।।

पत रख पाने
अक्षत दाने
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।अक्षतं।।

हित गंधोदक,
गुल मनमोहक
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।पुष्पं।।

खोने बंधन
न्यारे व्यंजन
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।नैवेद्यं।।

हित संजीवा
गो-घृत दीवा
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।दीपं।।

हित निज पूँजी
सुरभी दूजी
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।धूपं।।

ऋत फल मिसरी
हित दिव नगरी
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।फलं।।

हित शिव थाती
जल फल आदी
करता अर्पण
गुरुदेव चरण
जयकारा गुरुदेव का…
जय जय गुरुदेव
बरसाये रखना कृपा सदैव
जयतु जय, जय जय गुरुदेव ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
बताते ही हों दुख दर्द छू,
गुरु जानते जादू

जयमाला
सभी और नाम के
‘भक्त वत्सल’
सिवाय मेरे राम के
‘भक्त वत्सल’
सभी और नाम के

नहीं देखना पड़ा, करके ओट हाथ की,
सहज हो गई कृपा मुझ पर मेरे नाथ की
नहीं और काम के
सभी और नाम के

‘भक्त वत्सल’
सिवाय मेरे राम के
‘भक्त वत्सल’
सभी और नाम के

न पुकारना पड़ा, करके ओट हाथ की,
सहज हो गई कृपा मुझ पर मेरे नाथ की
नहीं और काम के
सभी और नाम के

‘भक्त वत्सल’
सिवाय मेरे राम के
‘भक्त वत्सल’
सभी और नाम के

न ही सोचना पड़ा, करके ओट हाथ की,
सहज हो गई कृपा मुझ पर मेरे नाथ की
नहीं और काम के
सभी और नाम के

‘भक्त वत्सल’
सिवाय मेरे राम के
‘भक्त वत्सल’
सभी और नाम के
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
गुरु की भक्ति साथी जिसकी,
चाँदी-चाँदी उसकी

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