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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 720

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 720

=हाईकू=
मेरे भगवन् !
थोड़े और पास से, दे दो दर्शन ।।स्थापना।।

न ठुकराना,
ले जल आये गंगा का जाना माना ।।जलं।।

ठग जमाना,
आये,
चन्दन लाये
न ठुकराना ।।चन्दनं।।

धाँ लाये,
इक नजर दो उठा ना,
न ठुकराना ।।अक्षतं।।

न ठुकराना,
शरण आये,
लाये सुमन नाना ।।पुष्पं।।

न ठुकराना,
आये, घृत-निर्मित ले पकवाना ।।नैवेद्यं।।

न ठुकराना,
लाये दीप,
सकाय मानस वाणा ।।दीपं।।

न ठुकराना,
ले आये सुगंध
न और जहाना ।।धूपं।।

न ठुकराना,
लाये फल नन्दन,
नाम बागाना ।।फलं।।

न ठुकराना,
लिये अर्घ,
हुआ दृग् सजल आना ।।अर्घं।।

=हाईकू=
धनुष जों हैं,
देख-देख बनाये,
गुरु की भोंहें

।।जयमाला।।
तू कहाँ नहीं है
मुझे दे बता
अय ! मेरे मन के देवता
तू हर-कहीं हैं,
तू कहाँ नहीं है

साँसों में तू बनके खुश्बू महकता है
तू रंगों में बनकर के लहू थिरकता है
तू मेरी जिन्दगी है
अय ! मेरे मन के देवता
तू हर-कहीं हैं,

तू कहाँ नहीं है
मुझे दे बता
अय ! मेरे मन के देवता
तू हर-कहीं हैं,
तू कहाँ नहीं है

आँखों में तू बन के सपना डोलता है
ख्वाबों में तू रंग अपना घोलता है
तू मेरी हर ख़ुशी है
अय ! मेरे मन के देवता
तू हर-कहीं हैं,

तू कहाँ नहीं है
मुझे दे बता
अय ! मेरे मन के देवता
तू हर-कहीं हैं,
तू कहाँ नहीं है

सीने में तू धड़कन के बहाने धड़कता है
साँची में तू कण-कण में मुझे झलकता है
तू मेरी बन्दगी है
अय ! मेरे मन के देवता
तू हर-कहीं हैं,

तू कहाँ नहीं है
मुझे दे बता
अय ! मेरे मन के देवता
तू हर-कहीं हैं,
तू कहाँ नहीं है
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

=हाईकू=
मुफ्त दुआएँ बाँटना आता जिन्हें,
वन्दन तिन्हें

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