loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 696

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 696

“हाईकू”
रात था देखा सपने में,
पड़गा रहा मैं तुम्हें । 
और तुमने,
जो ये पड़गाहन दे दिया हमें ।
थमी सी रह गई है,
धड़कन मेरे दिल की ।
पल न थम रही है
अँखिंयों से धारा जल की ।।स्थापना।।

दृग् भर आये,
आँगने अपने क्या आपको पाये ।।जलं।।

तुम्हें चन्दन अपनी याद रही,
भेंटूँ सुगंधी ।।चन्दनं।।

भिंटाऊँ शालि धाँ, आ जाया करो न,
यूँ ही रोजाना ।।अक्षतं।।

पुष्प भेंटूँ,
‘कि कल भी, आज सा ही पुण्य समेटूँ ।।पुष्पं।।

‘के आना, फिर के, भिटाऊँ नवेद,
श्रद्धा समेत ।।नैवेद्यं।।

भेंटूँ दीपिका,
पाऊँ ‘कि गन्धोदक यूँ ही आपका ।।दीपं।।

धूप भिंटाऊँ,
रोज ‘कि यूँ-ही कुछ अनूप पाऊँ ।।धूपं।।

भिंटाऊँ फल,
‘कि मना पाऊँ यूँ ही दीवाली कल ।।फलं।।

भींग न पायें दृग्,
आ जाया करो ना भेंटूँ अरघ ।।अर्घ्यं।।

“हाईकू”
मैं बन्धन में,
दे दिया करो तुम्हीं
‘आ-दर्श’ हमें

।। जयमाला ।।

श्री मन्त, मलप्पा द्वारे
लघु नन्दन वीर पधारे
जम के ढ़ोल बजा ‘रे साथी
जम के ढ़ोल बजा
मिल के धूम मचा ‘रे साथी
मिल के धूम मचा

किलकार भरे सुख-देवा
मिस कुण्डल रवि-शश सेवा
सच, कच चिकने घुँघराले
लघु नन्दन वीर पधारे

‘रे और हिमालय माथा
है शुक नासा से नाता
दृग् सीले, झील नजारे
लघु नन्दन वीर पधारे

अर शंखावर्ती ग्रीवा
मुस्कान और संजीवा
पग पाँखुड़ी पद्य निराले
लघु नन्दन वीर पधारे
श्री मन्त, मलप्पा द्वारे

।।जयमाला पूर्णार्घं।।

“हाईकू “
गुरु जी काँच को दर्पण,
‘करते ही’
समर्पण

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point