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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 503

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 503

हाईकू

हजार हाथ, उनके
‘होते साथ’
गुरु जिनके ।।स्थापना।।

आ चरणों में, जल चढ़ा रहा,
न जल बिलोने ।।जलं।।

आ चरणों में, चन्दन चढ़ा रहा,
आप सा होने ।।चन्दनं।।

आ चरणों में, अक्षत चढ़ा रहा,
सुकृत बोने ।।अक्षतं।।

आ चरणों में, पुष्प चढ़ा रहा,
न वर्षों में रोने ।।पुष्पं।।

आ चरणों में, नैवेद्य चढ़ा रहा,
रोग क्षुध् खोने ।।नैवेद्यं।।

आ चरणों में, दीप चढ़ा रहा,
‘के भूलूँ खिलौने ।।दीपं।।

आ चरणों में, धूप चढ़ा रहा,
‘के भाव हों नोने ।।धूपं।।

आ चरणों में, श्रीफल चढ़ा रहा,
न पल सोने ।।फलं।।

आ चरणों में, अर्घ चढ़ा रहा,
ले भाव सलोने ।।अर्घ्यं।।

हाईकू

लेने लगतीं बलाएँ,
देखते ही बच्चों को मांएं

जयमाला

पुकारते रहना
बस मुझे अपना कह
यूँ ही अपना समय
बस मुझे देते रहना
अजि तुझसे
न कुछ और मुझे कहना
मेरे शाम औ सुबह !
अय !मेरे जीने की इक वजह
बस मुझे अपना कह पुकारते रहना
न कुछ और मुझे कहना

होने तलक फतह,
मेरी पनडुबी खेते रहना
‘के किनारे उस लग जाये वह

यूँ ही अपना समय
बस मुझे देते रहना
अजि तुझसे
न कुछ और मुझे कहना
मेरे शाम औ सुबह !
अय !मेरे जीने की इक वजह
बस मुझे अपना कह पुकारते रहना
न कुछ और मुझे कहना

होने तलक फतह
खबर मेरी लेते रहना
चरणों में देते हुये जगह

यूँ ही अपना समय
बस मुझे देते रहना
अजि तुझसे
न कुछ और मुझे कहना
मेरे शाम औ सुबह !
अय !मेरे जीने की इक वजह
बस मुझे अपना कह पुकारते रहना
न कुछ और मुझे कहना
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू

कर देते हैं माफ
गुरु ‘जी’ कर देते हैं साफ

 

 

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