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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 501

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 501

हाईकू

बदमाशियाँ छू कर दें,
गुरु जी जादू कर दें ।।स्थापना।।

दो लगा उस पार बेड़ा,
जल ये मेरा स्वीकार करो ।।जलं।।

दो कर सुखी घनेरा,
चन्दन ये स्वीकार मेरा ।।चन्दनं।।

दो जगा साँझ बेरा,
थाल अक्षत स्वीकार मेरा ।।अक्षतं।।

कर दो मार चेरा,
पिटार पुष्प स्वीकार मेरा ।।पुष्पं।।

दो प्रकटा स्वा-नुभौ सबेरा,
चरु स्वीकार मेरा ।।नैवेद्यं।।

दो मिटा मोह अंधेरा,
दीप यह स्वीकार मेरा ।।दीपं।।

दो तोड़ कर्मों का घेरा,
घट-धूप स्वीकार मेरा ।।धूपं।।

मोक्ष में करा दो बसेरा,
श्री फल स्वीकार मेरा ।।फलं।।

दो मेंट भव-भव का फेरा,
अर्घ स्वीकार मेरा ।।अर्घ्यं।।

हाईकू

मिलती शक्ति हमें,
आ-पल रमें, गुरु भक्ति में

जयमाला

था पराया
तुमने अपनाया
हो गया धन्य मैं
मेरा बड़ा पुण्य है
था रोता आया
मेरे ले अपने सर…गम
मुझे दे सपने सरगम
तुमने हँसाया
सबने ठुकराया
तुमने अपनाया

था गमों का साया
लगा जख्मों पे मरहम
करके रहमो-करम
मेरे ले अपने-सर ‘गम’
मुझे दे सपने सरगम
तुमने हँसाया
सबने ठुकराया
तुमने अपनाया

था अंधेरा छाया ।
जीवन में मेरे
तूने करके रोशनी
एक नई खुशी
दी मुझे दूसरी ही जिंदगी
गले से लगाया
तुमने हँसाया
सबने ठुकराया
तुमने अपनाया

था पराया
तुमने अपनाया
हो गया धन्य मैं
मेरा बड़ा पुण्य है
था रोता आया

।।जयमाला पूर्णार्घं।।

हाईकू

बन्दगी बन दास गुरु,
जिन्दगी बिन्दास शुरु

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