loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 489

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 489

=हाईकू=
पाती आपको,
गुरु-देव ‘जी’ स्लेट जाती साफ हो ।।स्थापना।।

जन्म मृत्यु से पिण्ड छुड़ाने
लाये जल चढ़ाने ।।जलं।।

संसार ताप विहँसाने,
चन्दन लाये चढ़ाने ।।चन्दनं।।

अविनश्वर पद पाने,
लाये धाँ-शाली चढ़ाने ।।अक्षतं।।

काम बाण, दो टूक बनाने,
लाये पुष्प चढ़ाने ।।पुष्पं।।

क्षुध् रोग जड़ से मिटाने,
नैवेद्य लाये चढ़ाने ।।नैवेद्यं।।

मिथ्या तिमिर दूर भगाने,
लाये दीप चढ़ाने ।।दीपं।।

कर्मों का नमो-निशां मिटाने
लाये धूप चढ़ाने ।।धूपं।।

‘सम्यक् ज्ञान श्री’,फल पाने,
लाये श्री फल चढ़ाने ।।फलं।।

पद अनर्घ पा पाने,
लाये थाल अर्घ्य चढ़ाने ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
करते गुरु जी काम,
कर आगे भक्तों का नाम

जयमाला

है मेरे इतने करीब तू
मैं बड़ा खुशनसीब हूँ
मैं तेरे इतने करीब हूँ
है मेरे इतने करीब तू

पा रहा हर घड़ी
मुस्कान तेरी
जादू से भरी
पा रहा हर घड़ी
मुस्कान तेरी
मैं तेरे हो के रूबरू,
मैं बड़ा खुशनसीब हूँ

लग रही है झड़ी
नजरों की तेरी
जादू से भरी
लग रही है झड़ी
नजरों की तेरी
लिये आसमानी सुकूँ,
पा रहा हर घड़ी
मुस्कान तेरी
मैं तेरे हो के रूबरू,
मैं बड़ा खुशनसीब हूँ

।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
माँ ने जो चाहा वो हुआ,
बस तुम पढ़ दो दुआ

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point