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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 317

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 317

**हाईकू**

भरी रोशनी तारों में,
खड़े हम भी, कतारों में ।।स्थापना।।

लेके दृग् नम सहमें आये,
गुरुजी ! जल लाये ।।जलं।।

लेके नगमे भक्ति के आये,
गुरुजी ! गंध लाये ।।चन्दनं।।

लेके मन में सपने आये,
गुरुजी ! सुधाँ लाये ।।अक्षतं।।

लेकर ‘जी’ में अरमाँ आये,
गुरुजी ! पुष्प लाये ।।पुष्पं।।

लेके रग में उमंगे आये,
गुरु जी ! चरु लाये ।।नैवेद्यं।।

ले पुलकित हृदय आये,
गुरुजी’ दीप लाये ।।दीपं।।

ले करताल साथ में आये,
गुरुजी ! धूप लाये ।।धूपं।।

लेके संग में दृग् नम आये,
गुरुजी ! फल लाये ।।फलं।।

लेके दिल में उम्मीदें आये,
गुरुजी ! अर्घ्य लाये ।।अर्घ्यं।।

**हाईकू**

खूबसूरत हो,
आप एक, नेक मुहूरत हो ।

जयमाला

सुकून छा जाता है ।
ज्यों नजर उठाता है ।
तू जो मुस्कुराता है ।
सुकून छा जाता है ।

ज्यों अमृत झिराता है ।
कह के सुत बुलाता है ।
सुकून छा जाता है ।
ज्यों नजर उठाता है ।
तू जो मुस्कुराता है ।
सुकून छा जाता है ।

मग सजग सुझाता है ।
घर जो पड़ग जाता है ।
सुकून छा जाता है ।
ज्यों नजर उठाता है ।
तू जो मुस्कुराता है ।
सुकून छा जाता है ।

गोद में उठाता है ।
संज्योत जो थमाता है ।
सुकून छा जाता है ।
ज्यों नजर उठाता है ।
तू जो मुस्कुराता है ।
सुकून छा जाता है ।

॥ जयमाला पूर्णार्घं ॥

**हाईकू**

होगी न नई गल्तियाँ,
माफी दो, हो गईं गल्तियाँ

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