loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 310

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 310

=हाईकू=
आप जिन्दगी में क्या आये,
विघटे, बदरा छाये ।।स्थापना।।

श्री चरणों में, दे दो जगह
जल स्वीकारो यह ।।जलं।।

आभरणों में, दे दो जगह
गंध स्वीकारी यह ।।चन्दनं।।

पल-कर्णों में, दे दो जगह
सुधॉं स्वीकारो यह ।।अक्षतं।।

दृग् झिरनों में, दे दो जगह
पुष्प स्वीकारो यह ।।पुष्पं।।

कवि धर्णों में, दे दो जगह
चरु स्वीकारो यह ।।नैवेद्यं।।

‘भी’ किरणों में, दे दो जगह
दीप स्वीकारो यह ।।दीपं।।

पीर हर्णों में, दे दो जगह
धूप स्वीकारो यह ।।धूपं।।

सुर वर्णों में, दे दो जगह
फल स्वीकारो यह ।।फलं।।

वीर मर्णों में, दे दो जगह
अर्घ्य स्वीकारो यह ।।अर्घ्यं।।

==हाईकू==
दुनिया ठगे,
है आप दुनिया से कुछ हटके

।। जयमाला।।

एक अरजी गुरुजी, चौके हर पड़गाहन हो।
पर आपका गुरुजी, मेरे घर पड़गाहन हो।
गुरुजी, गुरुजी
एक अरजी गुरुजी, चौके हर पड़गाहन हो।
पर आपका गुरुजी, मेरे घर पड़गाहन हो।

देखो ना देखो चन्दन चौकी बिछाई जी ।
मनभावन देखो ना ये चौक पुराई जी ।
गुरुजी, गुरुजी
एक अरजी गुरुजी, चौके हर पड़गाहन हो।
पर आपका गुरुजी, मेरे घर पड़गाहन हो।

देखो ना देखो अनगिन चँवर लगाई जी ।
मनभावन देखो ना ये छतर मगाई जी ।।
गुरुजी, गुरुजी
एक अरजी गुरुजी, चौके हर पड़गाहन हो।
पर आपका गुरुजी, मेरे घर पड़गाहन हो।

देखो ना देखो भा-मण्डल मन लुभाय जी ।
मनभावन देखो ना पवन आय जाय जी ।।
गुरुजी, गुरुजी
एक अरजी गुरुजी, चौके हर पड़गाहन हो।
पर आपका गुरुजी, मेरे घर पड़गाहन हो।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
रखिये यूँ ही बना अपना,
‘जि न’ और सपना

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point