loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 307

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 307

=हाईकू=
खो जाते
दुक्ख ‘भौ’ बताते
आ गुरु-पूजा रचाते ।।स्थापना।।

स्वीकारो भावी शिव नागर,
लाया जल गागर ।।जलं।।

स्वीकारो पल-पल जागर,
लाया गंध इतर ।।चन्दनं।।

स्वीकारो ‘गुण-औ-रत्नाकर’
लाया घाँ मनहर ।।अक्षतं।।

स्वीकारो रत्न रत्न आकर,
लाया पुष्प निकर ।।पुष्पं।।

स्वीकारो दाँये तिल काजर,
लाया चरु पातर ।।नैवेद्यं।।

स्वीकारो सिद्ध ढाई आखर,
लाया दीवा घी भर ।।दीपं।।

स्वीकारो ख्यात पाणि पातर,
लाया नूप-अगर ।।धूपं।।

स्वीकारो पाँव, छाँव चादर,
लाया फल मधुर ।।फलं।।

स्वीकारो सुत ज्ञान सागर,
लाया अर्घ्य दृग् तर ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
प्रणाम,
दिया थमा,भागते मन मृग-विराम

।। जयमाला।।

।। गुरुवाणी, गंगा पानी।।

पन पाप धो चली ।
धन ! आप खो चली, भव-भव नादानी ।।
गुरुवाणी, गंगा पानी ।।

शीतल है इतनी ।
तपन भव-भव घनी, द्वार यम दिखानी ।
गुरुवाणी, गंगा पानी ।।

है दुनिया से हट ।
लाँघे न कभी तट, ‘अखर-ढ़ाइ’ ज्ञानी ।
गुरुवाणी, गंगा पानी ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।

==हाईकू==
मूरत जैसी प्रभु,
हूबहू गुरु मूरत वैसी

 

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point