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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 297

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 297

==हाईकू==
तुम्हें देखते ही, ‘गायें’
झूम जायें, क्या बतलायें ।।स्थापना।।

स्वीकारो लाये जल धारा,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।जलं।।

स्वीकारो लाये गंध प्याला,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।चन्दनं।।

स्वीकारो लाये धाँ-पिटारा,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।अक्षतंं।।

स्वीकारो लाये पुष्प न्यारा,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।पुष्पं।।

स्वीकारो लाये चरु आला,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।नैवेद्यं।।

स्वीकारो लाये दीप माला,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।दीपं।।

स्वीकारो धूप लाये ग्वाला,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।धूपं।।

स्वीकारो फल लाये प्यारा,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।फलं।।

स्वीकारो लाया अर्घ, म्हारा,
ओ ! छोटे बाबा गोशाला ।।अर्घ्यं।।

==हाईकू==
‘विघन काम तमाम,
भज मन ! गुरु का नाम’

।।जयमाला।।
नजर हटती नहीं,
चाँद के टुकड़े से,
आपके मुखड़े से,
नजर हटती नहीं ।।

न थकतीं, बतियातीं सखिंयाँ
अलकें घुंघराली बढ़िया ।
पलकें पंकज पांखुड़िंयाँ ।।
न थकतीं, बतियातीं सखिंयाँ

नजर हटती नहीं,
चाँद के टुकड़े से
आप के मुखड़े से,
नजर हटती नहीं ।।

न थकतीं, बतियातीं सखिंयाँ
होंठ तुम पंकज पांखुड़िंयाँ
पंकज पांखुड़िंयाँ अंखियां
न थकतीं, बतियाती सखिंयाँ

नजर हटती नहीं,
चाँद के टुकड़े से
आप के मुखड़े से,
नजर हटती नहीं ।।

न थकतीं, बतियातीं सखिंयाँ
भाँति पंकज तुम पग-तलिंयाँ
भाँति पंकज तुम कर-तालिंयाँ
न थकतीं, बतियाती सखिंयाँ

नजर हटती नहीं,
चाँद के टुकड़े से
आप के मुखड़े से,
नजर हटती नहीं ।।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

==हाईकू==
‘सम पुष्प खम् खुश्बू
पाना छू
गुरु गुण-गान-भू’

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