loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 292

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 292

==हाईकू==
छाँव-पाँव
पा जाऊँ जो थारी,
जाऊँ तो बारी-बारी ।।स्थापना।।

आज मैं खुशी चन्दन सी पाऊँ,
दृग्-जल चढ़ाऊँ ।।जलं।।

आज मैं खुशी चन्दन सी पाऊँ,
सौ-गंध चढ़ाऊँ ।।चन्दनं।।

आज मैं खुशी चन्दन सी पाऊँ,
धाँ शालि चढ़ाऊँ ।।अक्षतं।।

आज मैं खुशी चन्दन सी पाऊँ,
द्यु पुष्प चढ़ाऊँ ।।पुष्पं।।

आज मैं खुशी चन्दन सी पाऊँ,
षट् रस चढ़ाऊँ ।।नैवेद्यं।।

आज मैं खुशी चन्दन सी पाऊँ,
घी ज्योति जगाऊँ ।।दीपं।।

आज मैं खुशी चन्दन सी पाऊँ,
‘रु धूप चढ़ाऊँ ।।धूपं।।

आज मैं खुशी चन्दन सी पाऊँ,
श्री फल चढ़ाऊँ ।।फलं।।

आज मैं खुशी चन्दन की पाऊँ,
‘औ’ अर्घ्य चढ़ाऊँ ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
बनाता बात,
‘गुरु-गुण-गान’
आ, करते हाथ

।।जयमाला।।

चल-चल-चल
आ-चल
गुरु जी के, छू के आते चरण
ए मन ! ए मन !

सुनते, गुरु जी के छू जो आते चरण ।
उनके, छू हो जाते सभी अप शगुन ।
सारे अवगुण ।

चल-चल-चल
आ-चल
गुरु जी के, छू के आते चरण
ए मन ! ए मन !

सुनते, गुरु जी के छू जो आते चरण ।
उनके, छू हो जाते सभी अटकते प्रशन ।
खटकते विघन ।

चल-चल-चल
आ-चल
गुरु जी के, छू के आते चरण
ए मन ! ए मन !

सुनते, गुरु जी के छू जो आते चरण ।
उनके, छू हो जाते सभी पाप मन ।
विलाप निर्जन ।

चल-चल-चल
आ-चल
गुरु जी के, छू के आते चरण
ए मन ! ए मन !

।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
‘कीजो खुद-सा
सदय-हृदय,
न और विनय’

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point