loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 257

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 257

‘हाईकू’

तब,
रुलाया न जब,
रूठे सब,
शुक्रिया रब ! स्थापना।।

भेंटता हूँ मैं, जल,
अब न रहूँ था जैसा कल ।।जलं।।

भेंटता हूँ मैं, गन्ध,
रहूँ न अब और स्वच्छन्द ।।चन्दनं।।

भेंटता हूँ मैं, अक्षत,
बेंत सा हो सकूँ विनत ।।अक्षतं।।

भेंटता हूँ मैं, प्रसूँ,
मौत पा सकूँ जिन्दगी सुकूँ ।।पुष्पं।।

भेंटता हूँ मैं, चरु,
दे सकूँ छाँव मानिन्द तरु ।।नैवेद्यं।।

भेंटता हूँ मैं, प्रदीप,
आने आप और समीप ।।दीपं।।

भेंटता हूँ मैं धूप,
बन आप सा सकूँ अनूप ।।धूपं।।

भेंटता हूँ मैं श्रीफल,
आखिर हो सकूँ सफल ।।फलं।।

भेंटता हूँ मैं अरघ,
सीझे शीघ्र शिव-सुरग ।।अर्घ्यं।।

‘हाईकू’

खोजा जा जा,
न पाया दूजा,
चित् चोर !
सिवाय तोर ।

जयमाला

इक यही फरियाद
गुरु जी मेरे,
घने अंधेरे,
दीप दो थमा हाथ ।
इक यही फरियाद ।।

छाई भाल भारत निशा ।
नशा ही नशा,
कृपया इसे, दे दो दिशा ।।
दीप दो थमा हाथ ।
इक यही फरियाद ।

गुरुजी मेरे,
घने अंधेरे,
दीप दो थमा हाथ ।
इक यही फरियाद ।।

संस्कृति भारतीय अपघात ।
माँस-निर्यात,
देवता ! दे बता ये बात ।।
दीप दो थमा हाथ ।
इक यही फरियाद ।

गुरुजी मेरे,
घने अंधेरे,
दीप दो थमा हाथ ।
इक यही फरियाद ।।

‘रे छू मत, भारत ये गहल ।
पश्चिमी अनिल,
न सिर्फ अनिल, ये हहा अनल ।।
देवता ! दे बता ये बात ।
दीप दो थमा हाथ ।
इक यही फरियाद ।

गुरुजी मेरे,
घने अंधेरे,
दीप दो थमा हाथ ।
इक यही फरियाद।।

॥ जयमाला पूर्णार्घं ॥

‘हाईकू’

‘क्या चाहूँ ?
तो मैं चाहूँ गुरुजी !
दया, क्षमा तरु-सी’

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point