loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 130

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक – 130

चरणन आया ।
यजन सुहाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो ऋषि राया ।। स्थापना ।।

चरणन आया ।
जल-कण लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो मुनि राया।। जलं ।।

चरणन आया ।
चन्दन लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो यति राया।। चन्दनं ।।

चरणन आया ।
अक्षत लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो ऋषि राया ।।अक्षतम् ।।

चरणन आया ।
प्रसून लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो मुनि राया ।। पुष्पं ।।

चरणन आया ।
व्यञ्जन लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो यति राया।। नैवेद्यं ।।

चरणन आया ।
दीपक लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो ऋषि राया ।। दीपं ।।

चरणन आया ।
सुगन्ध लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो मुनि राया।। धूपं ।।

चरणन आया ।
ऋतु फल लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो यति राया ।।फलं।।

चरणन आया ।
वसु द्रव लाया ।।
छत्रच्छाया ।
दो ऋषि राया ।। अर्घं।।

==दोहा==
नभ छूते जिन-गृह शिखर,
पा जिनका सँग आज ।
हेत प्रबल सम्यक्तव वे,
भव जल-तरण जहाज ।।

॥ जयमाला ॥

।। मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।

देह पे विदेही हैं ।
निस्पृही सनेही हैं ।।
आप आप-से अपर ।
मुनि प्रवर-मुनि प्रवर-मुनि प्रवर ।।

यथा जात रूप जो ।
अहिंसा स्तूप ! भो ।।
कुन्द-कुन्द पद नुचर ।
मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।

गुरु वचन समान माँ ।
श्वाँस-श्वाँस में क्षमा ।।
चलें अँगुलि गुरु पकड़ ।
मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।

गीत मुक्ति वधु प्रणय ।
द्वार मोक्ष का विनय ।।
चलें बेत की डगर ।
मुनि प्रवर-मुनि प्रवर-मुनि प्रवर ।।

आर्ष-सूत्र से बँधे ।
रख रहे कदम सधे ।।
पल-पलक रहे निखर ।
मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।

हित-मित परिमित वचन ।
भा-षनु-वीचि कथन ।।
अहा पारखी नजर ।
मुनि प्रवर – मुनि प्रवर – मुनि प्रवर ।।
।। जयमाला पूर्णार्घं।।
==दोहा==
यही प्रार्थना आपसे,
डग-डग सजग विशेष ।
यूँ हि मुस्कुराते रहें,
सारे देश प्रदेश।।

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point