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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 1001

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 1001

लाती चेहरे नूर है
दूर करती गुरुर है
गुरु पूजा
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।स्थापना।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
जल गंगा भरकर
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।जलं।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
घट चन्दन घिसकर
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।चन्दनं।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
दाने धान अखर
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।अक्षतं।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
गुल नमेर सुन्दर
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।पुष्पं।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
घृत व्यंजन मनहर
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।नैवेद्यं।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
मण दीपक घृत भर
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।दीपं।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
फूटे गंध ‘इतर’
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।धूपं।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
फूल वन नन्दन ‘तर’
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।फलं।।

ला मनुआ
‘रे आ मनुआ
सरब दरब छव अर
आ मनुआ
‘रे आ मनुआ
करते हम मिलकर
श्री गुरुवर पूजा ।।अर्घ्यं।।

=कीर्तन=
जयतु विद्या, जयतु विद्या
ऊर्ध्व-रेता
अक्ष-जेता
मन विजेता
जयतु विद्या, जयतु विद्या
जयतु विद्या, जयतु विद्या
जयतु विद्या, जयतु विद्या

जयमाला
मुख में रखते न गरल
रखते हो हृदय सरल
पल-पल, जागते रहते हो तुम
जय गुरुवरम्
जय जयतु जय गुरुवरम्

कोई क्यों कहेगा चुप
कछुये के जैसे रहते हो तुम,
अपने भीतर छुप
कोई क्यों कहेगा चुप

पल-पल, जागते रहते हो तुम
जय गुरुवरम्
जय जयतु जय गुरुवरम्

मुख में रखते न गरल
रखते हो हृदय सरल
पल-पल, जागते रहते हो तुम
जय गुरुवरम्
जय जयतु जय गुरुवरम्

कोई क्यों कहेगा चुप
काँटों के बीच, रह लेते हो तुम,
जैसे पहुप
कोई क्यों कहेगा चुप

पल-पल, जागते रहते हो तुम
जय गुरुवरम्
जय जयतु जय गुरुवरम्

मुख में रखते न गरल
रखते हो हृदय सरल
पल-पल, जागते रहते हो तुम
जय गुरुवरम्
जय जयतु जय गुरुवरम्

कोई क्यों कहेगा चुप
सुदूर चश्मा
नाक पर रखते ही नहीं तुम,
स्वप्न में भी क्रोध कुप्
कोई क्यों कहेगा चुप

पल-पल, जागते रहते हो तुम
जय गुरुवरम्
जय जयतु जय गुरुवरम्

मुख में रखते न गरल
रखते हो हृदय सरल
पल-पल, जागते रहते हो तुम
जय गुरुवरम्
जय जयतु जय गुरुवरम्
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
अपने जैसा एक
आप रखते हंस विवेक

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