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आरती

आरती-नेमि नाथ

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

नेमि नाथ आरती

आरतिया उतारो, नेमिनाथ भगवान् की ।
मूरतिया निहारो, नेमि नाथ भगवान् की ।।

लगा झिर बरसे, रतन अम्बर से ।
सोला सुपन देख, जगदम्बा हरसे ।।
आरतिया उतारो पहली गर्भ कल्याण की ।
मूरतिया निहारो, नेमि नाथ भगवान् की ।।

सौधर्म आये, उतर अम्बर से ।
न्हवन कराये, भर क्षीर नीर कलशे ॥
आरतिया उतारी दूजी जन्म कल्याण की ।
मूरतिया निहारो, नेमि नाथ भगवान् की ।।

लौकान्त आये, उतर अम्बर से ।
वन को चले आप, नेह तोड़ घर से ॥
आरतिया उतारो तीजी तप कल्याण की ।
मूरतिया निहारो, नेमि नाथ भगवान् की ।।

देवि-देव आये, उतर अम्बर से ।
सभा-समशरण, धार-वचनामृत बरसे ।।
आरतिया उतारो केवलज्ञान कल्याण की ।
मूरतिया निहारो, नेमि नाथ भगवान् की ।।

अग्नि देव आये, उतर अम्बर से ।
काफूर तन, अग्नि नख-केश झुलसे ।।
आरतिया उतारो कल्याण निर्माण की ।
मूरतिया निहारो, नेमि नाथ भगवान् की ।।

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