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आरती

आचार्य श्री आरती-2

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

==आरती==

।। गुरु धरती के देव कहाते ।।

सांझ सांस मिल आ-रति कीजे ।
सहजो पूर्ण मनोरथ कीजे ।।
वेद, पुराण, शास्त्र बतलाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।१।।

श्रद्धा सुमन समर्पित कीजे ।
इह-भव जश, पर-भव सुख लीजे ।।
विघन, उपद्रव, कष्ट मिटाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।२।।

चरणन दृग्-जल-धारा कीजे ।
खोल स्वर्ग शिव द्वारे लीजे ।।
धूप खड़े ले परहित छाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।३।।

अपलक शशि मुख दर्शन कीजे ।
अपने नेत्र सफल कर लीजे ।।
बिन कारण करुणा बरसाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।४।।

गुण कीर्तन मग कदम बढ़ाये ।
डग भर सुर-गुरु थम-थमियाये ।
चलो, मौन से जोड़ें नाते ।
गुरु धरती के देव कहाते ।।५।।

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