loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आरती

आचार्य श्री आरती-5

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

==आरती==

छवि भगवन्त बलिहारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।

आओ दीप लेके हाथ ।
आ-रति करें मिलके साथ ।।
करुणा दया अवतारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।१।।

अपने पांव नापें गांव ।
तरु से धूप खा, दें छांव ।।
नदिया से परुपकारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।२।।

रखते पास ना घर-बार ।
कहते सेठिया सरकार ।।
पीछी कमण्डल धारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।३।।

रातरि शीत अभ्रवकाश ।
योग विरक्ष मूल चुमास ।।
आतप ग्रीष्म दोपारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।४।।

अपने हाथ लुंचन केश ।
विरहित राग, विगलित द्वेष ।।
महिमा अगम पविधारी ।
गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।५।।

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point