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आरती

आचार्य श्री आरती-20

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

==आरती==

गुरुदेव की उतारते आ आरती,
गुरुदेव की
गुरुदेव ही, रथ भुक्ति-मुक्ति सारथी,
गुरुदेव ही
गुरुदेव की उतारते आ आरती,
गुरुदेव की

यही तो, थमा देते खुशिंयों के आँसू
यही तो चुरा लेते अंखिंयों से आँसू
गुरुदेव ही, जानें कला उस पार की,
गुरुदेव ही
गुरुदेव ही, रथ भुक्ति-मुक्ति सारथी,
गुरुदेव ही

यही तो, छुवा देते हैं, आसमाँ को
यही तो, दुआ देते हैं, पास माँ जो
गुरुदेव ही, श्रुत-विश्रुत माँ भारती,
गुरुदेव ही
गुरुदेव ही, रथ भुक्ति-मुक्ति सारथी,
गुरुदेव ही

यही जगमगा देते, किस्मत सितारे
यही तो, लगा देते किश्ती किनारे
गुरुदेव ही, रखते हैं नज़र पारखी,
गुरुदेव ही
गुरुदेव ही, रथ भुक्ति-मुक्ति सारथी,
गुरुदेव ही

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